आरती की बिरिया होने लगी माँ
(Aarti ki Biriya Hone Lagi Maa
आरती की बिरिया होने लगी माँ
सुंदर मालन मेरी माँ, आरती की बिरिया होने लगी माँ ॥
सुंदर मालन मेरी माँ, आरती की बिरिया होने लगी माँ ॥
पहली आरति ये हो माँ कमलापति की माँ ,
जो जनम ड़ाए रे हमार ॥ आरती ॥
दूसरी आरती ये हो माँ सरस्वती की ओ माँ ,
जो ड़ाए है रे ज्ञान ॥ आरती ॥
तीसरी आरती रे ये वो शीतला माता की माँ,
जो मन बसी रे हमार ॥ आरती ॥
चौथी आरती रे ये वो माँ, चौसठ जोगिनी की रे,
खप्पर पर लाई हाथ ॥ आरती ॥
रही आरती रे ये वो माँ, सबरी मटा की ,
सब मिल घर रही ध्यान ॥ आरती ॥
सुमर सुमर माई तेरो रे आरती ,
रखियों चरण चितलाए ॥ आरती ॥
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