देवी आरती संग्रह : Devi Aarti Lyrics in Hindi

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Devi Aarti Lyrics in Hindi :- देवी आरती हमारी भारतीय संस्कृति और धार्मिक आस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा है। देवी दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती और अन्य शक्तियों की आराधना के लिए की जाने वाली देवी आरती भक्ति और श्रद्धा से भरी होती है। देवी आरती के दौरान माँ की महिमा का गुणगान किया जाता है और उनके आशीर्वाद की कामना की जाती है।

Devi Aarti Lyrics in Hindi
1जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामा गौरी
2अम्बे तू है जगदम्बे काली
3मंगल की सेवा सुन मेरी देवा
4लक्ष्मी माता की आरती
5
Devi Aarti Lyrics in Hindi

देवी आरती (Devi Aarti Lyrics in Hindi) के बोल भक्तों को माँ की शक्ति, दया और करुणा का स्मरण कराते हैं। आरती के समय गाए जाने वाले ये शब्द माँ के प्रति समर्पण और उनके आशीर्वाद को पाने का माध्यम होते हैं। चाहे आप नवरात्रि के समय दुर्गा माँ की आरती गाना चाहें या धनतेरस और दीपावली के समय लक्ष्मी माँ की आरती, यहाँ आपको हर देवी की आरती के बोल मिलेंगे।

देवी आरती (Devi Aarti Lyrics in Hindi) गाने से न केवल भक्तिमय माहौल बनता है, बल्कि इससे मानसिक शांति और शक्ति का अनुभव भी होता है। देवी की कृपा से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है।

आरती, भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे पूजा-अर्चना के समय किया जाता है। यह धार्मिक भावनाओं को व्यक्त करने और देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त करने का एक साधन है। आरती की ज्योति और संगीत का संयोग भक्तों को एक अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है। यहां हम विभिन्न देवी-देवताओं की आरती का संग्रह प्रस्तुत कर रहे हैं, जो न केवल धार्मिक आस्था को बढ़ाते हैं बल्कि मन को भी शांति और संतोष प्रदान करते हैं।

Complete Aarti Lyrics Collection

  1. ॥ श्री गणेशजी की आरती ॥
  2. ॥ आरती गजबदना विनायक की ॥
  3. ॥ आरती श्री गणपति जी ॥
  4. ॥ हनुमान जी की आरती ॥
  5. ॥ आरती कुंज बिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
  6. ॥ श्री गोपाल की आरती ॥
  7. ॥ आरती श्री कृष्ण कन्हैया की ॥
  8. ॥ आरती श्री रामचंद्र जी ॥
  9. ॥ श्री रघुवर आरती ॥
  10. ॥ ॐ जय शिव ओंकारा ॥
  11. ॥ श्री शिव शंकर जी की आरती ॥
  12. ॥ आरती श्री जगदीशजी ॥
  13. ॥ श्री लक्ष्मीनारायण आरती ॥
  14. ॥ श्री रामायणजी की आरती ॥
  15. ॥ शनिदेव की आरती ॥
  1. ॥ श्री गणेशजी की आरती ॥
    यह आरती भगवान गणेश, जो समस्त विघ्नों का नाशक माने जाते हैं, की की जाती है। यह आरती भक्ति भाव से भरपूर होती है और भक्तों के लिए शुभता और समृद्धि का प्रतीक है।
  2. ॥ आरती गजबदना विनायक की ॥
    गजबदना विनायक की आरती भगवान गणेश के विशेष नामों में से एक है। इस आरती में भगवान की महिमा और उनके अद्वितीय गुणों का वर्णन किया गया है।
  3. ॥ आरती श्री गणपति जी ॥
    श्री गणपति जी की आरती भक्तों को भगवान के प्रति श्रद्धा और प्रेम का अनुभव कराती है। यह आरती विशेष अवसरों पर, जैसे गणेश चतुर्थी, पर अधिकतर गाई जाती है।
  4. ॥ हनुमान जी की आरती ॥
    हनुमान जी, जो बल और भक्ति के प्रतीक हैं, की आरती में उनकी शक्ति और कृपा का गुणगान किया गया है। यह आरती भक्तों को संकटों से मुक्ति दिलाने में सहायक मानी जाती है।
  5. ॥ आरती कुंज बिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
    यह आरती भगवान श्री कृष्ण की है, जो प्रेम, भक्ति और खेल के देवता हैं। कृष्ण की लीलाओं और उनके अनंत गुणों का वर्णन करते हुए यह आरती भक्तों को आनंदित करती है।
  6. ॥ श्री गोपाल की आरती ॥
    गोपाल का अर्थ है “गोपियों के रक्षक”। यह आरती भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप को समर्पित है, जिसमें उनकी मस्ती और चंचलता का उल्लेख है।
  7. ॥ आरती श्री कृष्ण कन्हैया की ॥
    कन्हैया भगवान कृष्ण के प्रिय नामों में से एक है। यह आरती भक्ति के साथ-साथ उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त करती है।
  8. ॥ आरती श्री रामचंद्र जी ॥
    रामचंद्र जी की आरती भक्तों को धर्म, न्याय और आदर्श का पाठ पढ़ाती है। यह आरती श्री राम के चरित्र को उजागर करती है।
  9. ॥ श्री रघुवर आरती ॥
    रघुवर का अर्थ है “रघु के वंशज”। यह आरती भगवान राम के प्रति श्रद्धा को दर्शाती है और उनके गुणों का गुणगान करती है।
  10. ॥ ॐ जय शिव ओंकारा ॥
    भगवान शिव की आरती जो उनकी अद्वितीयता और उनकी शक्ति को प्रदर्शित करती है। यह आरती भक्तों को आध्यात्मिक अनुभव कराती है।
  11. ॥ श्री शिव शंकर जी की आरती ॥
    यह आरती भगवान शिव की महिमा का वर्णन करती है और उन्हें संसार का पालनहार मानती है। यह आरती शिव भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
  12. ॥ आरती श्री जगदीशजी ॥
    यह आरती भगवान विष्णु की है, जो सभी प्राणियों के पालनहार हैं। यह आरती भक्तों को उनके प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करने का अवसर देती है।
  13. ॥ श्री लक्ष्मीनारायण आरती ॥
    लक्ष्मी और नारायण, दोनों ही धन और समृद्धि के प्रतीक माने जाते हैं। यह आरती उनके एकता और प्रेम का प्रतीक है।
  14. ॥ श्री रामायणजी की आरती ॥
    यह आरती रामायण की महिमा को बताती है और भगवान राम के प्रति भक्ति भाव को उजागर करती है। इसमें रामायण के पात्रों का भी जिक्र है।
  15. ॥ शनिदेव की आरती ॥
    शनिदेव, जो न्याय के देवता हैं, की आरती भक्तों को संकटनाशक और समृद्धि का अनुभव कराती है। यह आरती शनिदेव की कृपा प्राप्त करने का साधन है।

इस प्रकार, ये आरतियाँ न केवल भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक हैं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और धर्म का भी महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। हर आरती में एक विशेष भावना, एक विशेष कृपा और एक विशेष अनुभव छिपा होता है, जो भक्तों को जीवन के कठिनाईयों में सहारा देती हैं।

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