नवरात्रि उत्सव : Navratri Utsav

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Navratri Utsav: हिंदू धर्म में नवरात्रि एक महत्वपूर्ण त्योहार है जिसे साल में चार बार मनाया जाता है। ये चार नवरात्रियाँ हैं: चैत्र नवरात्रि, आश्विन (शारदीय) नवरात्रि, माघ गुप्त नवरात्रि, आषाढ़ गुप्त नवरात्रि,

Navratri Utsav प्रकार

  1. चैत्र नवरात्रि: यह नवरात्रि वसंत ऋतु में आती है और इसे वासंती नवरात्रि भी कहा जाता है। यह मार्च-अप्रैल के महीने में मनाई जाती है। चैत्र नवरात्रि का समापन राम नवमी के दिन होता है, जो भगवान राम के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।
  2. आश्विन (शारदीय) नवरात्रि: यह नवरात्रि शरद ऋतु में आती है और इसे सबसे प्रमुख नवरात्रि माना जाता है। यह सितंबर-अक्टूबर के महीने में मनाई जाती है। दशहरा या विजयदशमी इसके समापन का दिन होता है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।
  3. माघ गुप्त नवरात्रि: यह नवरात्रि माघ महीने में आती है, जो जनवरी-फरवरी के दौरान होती है। इसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है क्योंकि इसमें गुप्त साधनाओं और तांत्रिक क्रियाओं का विशेष महत्व होता है।
  4. आषाढ़ गुप्त नवरात्रि: यह नवरात्रि आषाढ़ महीने में आती है, जो जून-जुलाई के दौरान होती है। माघ गुप्त नवरात्रि की तरह, आषाढ़ गुप्त नवरात्रि भी तांत्रिक साधनाओं और गुप्त पूजा के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है।

इन चार नवरात्रियों का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। हर नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है और इसे शक्ति की उपासना का पर्व माना जाता है। भक्त लोग व्रत रखते हैं, विशेष पूजा-अर्चना करते हैं और देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों का आवाहन करते हैं। नवरात्रि के दौरान किए गए धार्मिक अनुष्ठान और उपासना भक्तों को शक्ति, सुख, समृद्धि और मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद देते हैं।

Navratri Utsav

Navratri Utsav देवियों के रूप : नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा के नौ अवतारों की पूजा की जाती है। ये नौ अवतार हैं: शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री। प्रत्येक अवतार का अपना महत्व और कहानी है। आइए इन नौ अवतारों के बारे में विस्तार से जानें:

  1. शैलपुत्री: शैलपुत्री का अर्थ है पर्वत की पुत्री। वे हिमालय पर्वत की पुत्री हैं और इनका वाहन वृषभ है। उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल होता है। शैलपुत्री का पूजन पहले दिन किया जाता है।

2. ब्रह्मचारिणी: ब्रह्मचारिणी तपस्या और संयम की देवी हैं। वे सफेद वस्त्र धारण करती हैं और उनके हाथ में कमंडल और जपमाला होती है। दूसरे दिन इनकी पूजा की जाती है।

    3. चंद्रघंटा: चंद्रघंटा का तीसरा रूप शक्ति और वीरता का प्रतीक है। इनके मस्तक पर अर्धचंद्र का घंटे की तरह स्वरूप होता है। इनका वाहन सिंह है और ये तीन नेत्र धारण करती हैं। तीसरे दिन इनकी पूजा की जाती है।

      1. कूष्मांडा: कूष्मांडा देवी का चौथा रूप है, जिन्हें ब्रह्माण्ड की रचना करने वाली कहा जाता है। वे आठ भुजाओं वाली हैं और उनके हाथों में विभिन्न अस्त्र-शस्त्र और कमल का फूल होता है। इनकी पूजा चौथे दिन की जाती है।
      1. स्कंदमाता: स्कंदमाता का पांचवा रूप माता पार्वती के रूप में है, जो कार्तिकेय (स्कंद) की माता हैं। वे सिंह पर सवार होती हैं और चार भुजाओं वाली होती हैं। पांचवें दिन इनकी पूजा की जाती है।
      1. कात्यायनी: कात्यायनी देवी का छठा रूप है। वे ऋषि कात्यायन की पुत्री के रूप में प्रकट हुईं। ये सिंह पर सवार होती हैं और चार भुजाओं वाली होती हैं। छठे दिन इनकी पूजा होती है।
      2. कालरात्रि: कालरात्रि देवी का सातवां रूप है। वे अत्यंत भयानक और शक्तिशाली रूप में प्रकट होती हैं। इनका रंग काला होता है और इनके तीन नेत्र होते हैं। कालरात्रि की पूजा सातवें दिन की जाती है।
      3. महागौरी: महागौरी देवी का आठवां रूप है। इनका रंग अत्यंत गोरा है, जैसे सफेद चांदनी। वे शांति और करूणा की देवी मानी जाती हैं। आठवें दिन इनकी पूजा की जाती है।
      4. सिद्धिदात्री: सिद्धिदात्री देवी का नौवां और अंतिम रूप है। वे सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्रदान करती हैं। इनका वाहन सिंह है और वे कमल पर विराजमान होती हैं। नौवें दिन इनकी पूजा की जाती है।

      नवरात्रि के ये नौ दिन देवी दुर्गा के इन नौ रूपों की पूजा के लिए समर्पित होते हैं, जो भक्तों को शक्ति, साहस, और समृद्धि प्रदान करते हैं।

      Navratri Utsav पर भक्ति के विभिन्न गीत संगीत

      देवी दुर्गा की भक्ति के लिए अनेक प्रकार के गीत गाए जाते हैं। ये भक्ति गीत विभिन्न रूपों में होते हैं और भक्तों के बीच अत्यंत लोकप्रिय हैं। निम्नलिखित प्रकार के देवी दुर्गा के भक्ति गीत हैं:

      1. भजन: भजन देवी दुर्गा की स्तुति में गाए जाने वाले धार्मिक गीत हैं। इनमें उनकी महिमा, शक्तियों और अद्भुत कार्यों का वर्णन किया जाता है।
      2. आरती: आरती विशेष पूजा के अंत में गाई जाती है, जिसमें दीपक जलाकर देवी की आराधना की जाती है।
      3. चालीसा: चालीसा चालीस चौपाइयों का संग्रह होता है जो देवी दुर्गा की महिमा का गुणगान करता है। दुर्गा चालीसा बहुत प्रसिद्ध है, जो भक्तों के बीच अत्यंत लोकप्रिय है।
      4. स्तोत्र: स्तोत्र संस्कृत में रचित होते हैं और इनमें देवी दुर्गा की स्तुति की जाती है। इनमें से कुछ प्रमुख स्तोत्र हैं:
        • दुर्गा सप्तशती (चंडी पाठ)
        • दुर्गा सप्तश्लोकी स्तोत्र
      5. कवच: कवच सुरक्षा और शांति के लिए गाया जाता है, जिसमें देवी दुर्गा से सुरक्षा की कामना की जाती है। दुर्गा कवच एक महत्वपूर्ण और प्रचलित कवच है।
      6. जागरण गीत: जागरण गीत देवी दुर्गा की पूरी रात की जागरण पूजा में गाए जाते हैं। इन गीतों में उनकी महिमा का गुणगान और भक्ति का संचार होता है।
      7. ग़ज़ल और सूफ़ी गीत: कुछ भक्ति गीत ग़ज़ल और सूफ़ी शैली में भी होते हैं, जो विशेष रूप से देवी दुर्गा की कृपा और महिमा का वर्णन करते हैं।
      8. कीर्तन: कीर्तन भक्ति गीतों का एक अन्य रूप है जिसमें समूह में मिलकर देवी की आराधना की जाती है। कीर्तन में संगीत और नृत्य के माध्यम से भक्ति का प्रकटिकरण होता है।
      9. नवरात्रि स्पेशल गीत “जस” : नवरात्रि के दौरान विशेष रूप से गाए जाने वाले गीत “जस” होते हैं जो देवी दुर्गा के नौ रूपों की आराधना के लिए समर्पित होते हैं। ये “जस” गीत नवरात्रि के नौ दिनों के महत्व को दर्शाते हैं।

      इन भक्ति गीतों के माध्यम से भक्त देवी दुर्गा की आराधना करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने की कामना करते हैं। ये गीत धार्मिक अनुष्ठानों और उत्सवों का अभिन्न हिस्सा होते हैं और भक्तों के मन में भक्ति और श्रद्धा का संचार करते हैं।

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